ऑपरेशन महादेव साल 2025 की सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कार्रवाइयों में से एक रहा। यह ऑपरेशन भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की साझा रणनीति के तहत शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य था 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुई नागरिक घटना से जुड़े दोषियों तक पहुंचना। करीब 14 दिनों की निगरानी और रणनीतिक कार्रवाई के बाद, 28 जुलाई 2025 को यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
ऑपरेशन महादेव कब और क्यों हुआ?
- शुरुआत का संकेत: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुई घटना के बाद
- मुख्य निगरानी: जुलाई के पहले हफ्ते से
- ऑपरेशन की समाप्ति: 28 जुलाई 2025
- लोकेशन: श्रीनगर के पास महादेव चोटी क्षेत्र, उच्च पर्वतीय जंगल
प्रमुख सुराग और कैसे मिली सफलता?
ऑपरेशन के दौरान मिले सुरागों में शामिल थे:
- हीट सिग्नेचर डिटेक्शन: सैटेलाइट से तापीय गतिविधियों की निगरानी
- चाइनीज मोबाइल फोन: एक पुराने डिवाइस से निकली कॉल डिटेल्स ने बड़ा खुलासा किया
- सीलन वाली सुरंग: संदिग्धों का भागने का रास्ता जलभराव के कारण रुक गया
- स्थानीय ग्वालों की जानकारी: अनजाने में सुरक्षाबलों की मदद कर दी
- ड्रोन निगरानी: ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हरकतें ट्रैक की गईं
ऑपरेशन महादेव
बिंदु | विवरण |
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ऑपरेशन का नाम | ऑपरेशन महादेव |
समाप्ति तिथि | 28 जुलाई 2025 |
एजेंसियां शामिल | भारतीय सेना, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस |
मुख्य क्षेत्र | महादेव चोटी, श्रीनगर |
कनेक्टेड घटना | पहलगाम की 22 अप्रैल 2025 की घटना |
पकड़े गए सुराग | मोबाइल, दस्तावेज़, टॉवर डेटा, लोकेशन हिस्ट्री |
ऑपरेशन से जुड़े प्रमुख नाम
- सुलेमान (उर्फ फैज़ल)
- हमज़ा अफगानी (उर्फ अफगान)
- जिब्रान
तीनों व्यक्ति ‘A’ श्रेणी के निगरानी सूची में शामिल थे, और इनकी गतिविधियों पर पहले से सुरक्षा एजेंसियों की नजर थी।
लोकसभा में गृह मंत्री का बयान
28 जुलाई के बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि ऑपरेशन महादेव के अंतर्गत पहलगाम मामले से जुड़े तीन प्रमुख व्यक्ति चिन्हित किए जा चुके हैं। उन्होंने यह भी साझा किया कि सुरक्षा बलों को उनके पास से विदेशी सामग्री, डिजिटल डिवाइस और संपर्क प्रमाण मिले हैं।
ऑपरेशन शिव शक्ति की शुरुआत
ऑपरेशन महादेव की सफलता के बाद, सरकार ने ऑपरेशन शिव शक्ति शुरू किया। इसका उद्देश्य है शेष नेटवर्क को निष्क्रिय करना और क्षेत्र में दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करना। अब तक इस मिशन के तहत 100 दिनों में 12 और संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाई जा चुकी है।
निष्कर्ष: ऑपरेशन महादेव भारत के लिए सिर्फ एक सुरक्षा मिशन नहीं था, बल्कि यह एक संकेत था कि तकनीक, धैर्य और साझा रणनीति के साथ देश हर चुनौती का सामना कर सकता है। इस ऑपरेशन में प्राकृतिक बाधाओं, स्थानीय सहयोग और अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना और जनहित के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक, भड़काऊ या गैर-नीतिगत भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है। सभी तथ्य सार्वजनिक रिपोर्ट्स और आधिकारिक बयानों पर आधारित हैं।
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