वो जांबाज़ एजेंसियां जिन्होंने ऑपरेशन महादेव को दिया अंजाम, जानें पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड मूसा तक कैसे पहुंची भारतीय सुरक्षा प्रणाली

ऑपरेशन महादेव साल 2025 का एक ऐतिहासिक सुरक्षा अभियान रहा, जिसे भारत की तीन बड़ी एजेंसियों – भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस – ने मिलकर अंजाम दिया। यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुई घटना के बाद शुरू हुआ था, जिसमें सुरक्षाबलों का उद्देश्य था मास्टरमाइंड मूसा तक पहुँचना और नेटवर्क को निष्क्रिय करना।

ऑपरेशन महादेव की रूपरेखा

ऑपरेशन महादेव में सबसे पहले रणनीतिक स्तर पर क्षेत्र को चिन्हित किया गया। इसके बाद, तकनीकी निगरानी, सैटेलाइट इमेजिंग और थर्मल सेंसर्स की मदद से संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की गई। यह जानकारी जमीन पर कार्यरत टीमों को भेजी गई, जिनमें 4 पैरा यूनिट, स्थानीय पुलिस और CRPF शामिल थीं। घने जंगलों, पहाड़ियों और सुरंगों के बीच किए गए इस अभियान को इसीलिए ‘महादेव’ नाम दिया गया क्योंकि यह श्रीनगर के पास स्थित महादेव चोटी क्षेत्र में केंद्रित था।

ऑपरेशन में शामिल एजेंसियों की भूमिका

एजेंसी का नाममुख्य भूमिका
भारतीय सेना (Northern Command, 4 PARA)ऊंचाई वाले क्षेत्र में घेराबंदी, रणनीतिक घुसपैठ और अंतिम कार्रवाई
सीआरपीएफ (CRPF)क्षेत्र में सुरक्षा घेरा, सहायता और रसद नियंत्रण
जम्मू-कश्मीर पुलिसगुप्त जानकारी जुटाना, संदिग्धों की पहचान और तकनीकी विश्लेषण

यह तालमेल ही था, जिसने इस ऑपरेशन को इतनी कम समय में पूर्ण सफलता तक पहुंचाया।

सुराग कैसे मिले?

पुराने चीनी मोबाइल की रिकवरी से सुरक्षाबलों को कॉल लॉग्स और टेक्स्ट्स मिले, जिससे मूसा और उसके साथियों के मूवमेंट का पता चला। इस मोबाइल में सेव की गई कुछ छवियों और संदेशों से मिली लोकेशन जानकारी ने पूरी जांच को दिशा दी। साथ ही, स्थानीय ग्वालों द्वारा दी गई जानकारी ने ऑपरेशन को निर्णायक मोड़ पर पहुँचा दिया।

मूसा तक कैसे पहुंची एजेंसियां?

भारतीय सेना ने ऊँचाई वाले इलाकों में कड़ी घेराबंदी की। CRPF की टीमों ने बाहरी सुरक्षा घेरे को मजबूत किया, जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष शाखा ने जमीनी इनपुट्स और संपर्क सूत्रों के ज़रिए मूसा की सटीक लोकेशन तय की। ऑपरेशन के दौरान बारिश और कीचड़ ने भागने के रास्तों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे संदिग्ध एक सीमित क्षेत्र में फँस गए।

लोकसभा में हुआ ज़िक्र

28 जुलाई 2025 को ऑपरेशन की सफलता की पुष्टि गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में की। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन में शामिल व्यक्ति से कई डिजिटल और फिजिकल सबूत मिले हैं जो नेटवर्क की गहराई को दर्शाते हैं। गृह मंत्री ने इसे सुरक्षा बलों की शानदार समन्वित कार्यशैली का परिणाम बताया।

निष्कर्ष: ऑपरेशन महादेव इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय, तकनीक का उचित उपयोग और जमीनी सूझबूझ मिलकर किसी भी चुनौती को हल कर सकती है। मूसा जैसे गुप्त प्लानर तक पहुँच पाना आसान नहीं था, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने यह कर दिखाया – वो भी बिना किसी आम नागरिक के जीवन को प्रभावित किए।

Disclaimer: यह लेख केवल जनहित और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। इसमें किसी प्रकार की भड़काऊ या संवेदनशील भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है। सभी तथ्य सार्वजनिक रिपोर्ट्स और आधिकारिक बयानों पर आधारित हैं।

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