कितना मुश्किल था ऑपरेशन महादेव? 10 दिनों से चला प्लानिंग और कैसे कार्रवाई में ढेर हुए आतंकी

मिशन की तैयारी से ही थी सटीक योजना, 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुई भयानक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद गोपनीय तरीके से करीब 10 दिनों तक काम करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने गुप्त निगरानी बढ़ाई इसने ऑपरेशन महादेव की नींव रखी। टीमों ने संदिग्धों की आवाजाही पर लगातार नजर बनाकर उन्हें चरम स्थिति में न आ सकें, इस रणनीतिक लक्ष्य को पूरा किया।

प्लानिंग से लेकर अंतिम कार्रवाई तक का क्रम

सुरक्षा बलों ने सैटेलाइट फोन, तकनीकी ट्रैकिंग, ड्रोन दृश्य और स्वास्थ्य उपकरणों का समन्वित उपयोग किया। 10 दिनों तक की खुफिया समीक्षा के बाद जुलाई के अंतिम सप्ताह में जैसे ही संदिग्धों ने कोई संचार स्थापित किया, उन्होंने कार्रवाई शुरू की।
अंतिम चरण में ‘4 पैरा SF’, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर महादेव चोटी के पास घेरा डालकर संदिग्धों को नियंत्रित क्षेत्र में सीमित किया। अंतिम जानकारी के आधार पर 28 जुलाई 2025 को कार्रवाई पूरी कर दी गई

Operation Mahadev

चरणविवरण
शुरुआत10 दिनों तक गुप्त निगरानी, मोबाइल ट्रैकिंग एवं खुफिया विश्लेषण
क्षेत्रमहादेव चोटी एवं आसपास का घना, ऊँचा इलाका
तकनीकी उपयोगसैटेलाइट फोन इंटरसेप्ट, ड्रोन सर्विलेंस, थर्मल निगरानी
साझेदारीभारतीय सेना (4 PARA SF), CRPF, J&K पुलिस
अंतिम कार्रवाईजुलाई 28, 2025 को संदिग्धों की पहचान कर नियंत्रण में लिया गया

धैर्य, पाठ्यक्रम और निर्णायक कदम

ऑपरेशन महादेव केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक बंधा हुआ प्रयास था जहाँ एक-एक कदम की सावधानीपूर्वक योजना ने बड़े खतरे को नाकाम कर दिया। यह मिशन दिखाता है कि कैसे समन्वित रणनीति, तकनीकी दक्षता और समय पर निर्णय सेना को सीमित समय में सफलता दिला सकते हैं।

Disclaimer: यह लेख पूरी तरह से सूचना और जनजागरूकता हेतु लिखा गया है। इसमें शामिल तथ्य केवल सार्वजनिक और सत्यापित स्रोतों पर आधारित हैं।

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