विश्वास का तोड़, ऑपरेशन का नाम और धोखाधड़ी की वारदात, ठगों ने “ऑपरेशन महादेव” का नाम ऐसा इस्तेमाल किया कि वह सुरक्षा की बजाय डर और भ्रम का कारण बन गया। जम्मू-कश्मीर एटीएस अधिकारी बनकर पेश हुए कुछ जालसाज़ों ने एक महिला डॉक्टर को फंसाया और 10,000 रुपये ऐंठ लिए। यह वाकया ऐसे समय में सामने आया है जब सुरक्षा ऑपरेशन का नाम लोगों में जागरूकता का प्रतीक बन चुका था।
घटना का विवरण
राजकोट में रहने वाली MBBS छात्रा चेतना कटारिया राजुला की रही हैं। उन्हें एक कॉल आया जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को पहलगाम पुलिस इंस्पेक्टर बताया और “ऑपरेशन महादेव” का ज़िक्र करते हुए कहा कि उसका फोन संदिग्ध आतंकवादी की सूची में शामिल है। डराने-धमकाने पर उन्हें व्हाट्सएप पर संदिग्धों की तस्वीरें और फर्जी दस्तावेज भेजे गए। फिर एक वीडियो कॉल कर डराया गया कि अगर वह जाँचना ATS से सुरक्षा प्रमाण ना लेकर नहीं किए तो मुश्किल हो सकती है। भय के चलते उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन जैसे ही पैसे लौटाने की गुहार लगाई, कॉल कट गया।
ऐसी ठगी की संरचना
चालाकी तत्व | विवरण |
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पहचान का छल | ATS पुलिस या (पहल्गाम) पुलिस का दावा, विशेषज्ञता दिखाने के लिए |
भय का नींव बनाना | ऑपरेशन महादेव नाम का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय सुरक्षा का दावा बैठाना |
फर्जी डिजिटल बैंकिंग | फर्जी arrest निर्देश, फोटो, दस्तावेज़ भेज कर गंभीरता दिखाना |
जिम्मेदारी पर दबाव | डॉक्टर को बचने का भय दिखाकर पैसे की डिमांड करना |
लोकप्रिय ऑपरेशन नाम की छाया
ऑपरेशन महादेव, जो आतंकियों का पता लगाने वाली एक सटीक कार्रवाई थी, का नाम धोखेबाजों के हाथों एक खौफ बनकर बैठ गया। इस घटना ने यह सिखाया कि तकरीबन हर परिचित नाम, चाहे वह एक बहादुरी भरा मिशन ही क्यों ना हो, धोखाधड़ी के लिए खतरनाक माध्यम बन सकता है। सतर्कता, संदेह और प्रक्रिया की जांच ऐसे मामलों में सबसे बड़ी रक्षा है।
Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक और सचेत रिपोर्टों पर आधारित एक सूचना ब्लॉग है। इसमें किसी विशिष्ट व्यक्ति या संस्थान पर आरोप या भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
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